ठंड में बढ़ रहा है फाइलेरिया का कहर, जानें वजह और बचने के उपाय
सेहतराग टीम
ठंड में फाइलेरिया का अटैक बढ़ गया है। शहर में शीतलहर के बढ़ते ही फाइलेरिया के मरीज भी बढ़ गए हैं। दर्द से परेशान लोगों को अस्पताल आना मजबूरी है। फाइलेरिया की रोकथाम के लिए ऐसे तो हर साल अभियान चलाकर घर-घर नि:शुल्क दवाएं दी जाती हैं, लेकिन जागरुकता के अभाव में लोग दवा लेने में रुचि नहीं दिखाते हैं। मलेरिया की तरह फाइलेरिया भी मच्छर के काटने से होता है। ठंड में संक्रमित मच्छर के काटने से मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। सरकारी आंकड़ों की बात करें तो हर साल मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी फाइलेरिया से परेशान हैं।
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घूम-घूमकर दी जाती है फाइलेरिया की दवा-
फाइलेरिया को लेकर हर वर्ष ठंड से पहले अभियान चलाया जाता है। इसमें दो तरह की दवाएं दी जाती हैं। इसके लिए पटना में आठ डीपो भी बनाया गया है। डॉक्टर गर्भवती महिला हृदय व दमारोगियों को छोड़ कर हर किसी को फाइलेरिया की दवा साल में एक बार खाने की सलाह देते हैं।
ठंड में बढ़ जाती है मरीजों की परेशानी-
डॉक्टरों का कहना है कि ठंड में फाइलेरिया का असर काफी अधिक होता है। तेज ठंड पड़ते ही दर्द से लोगों की स्थिति खराब हो जाती है। फाइलेरिया न सिर्फ व्यक्ति को विकलांग बना देती है, बल्कि इससे मरीज की मानसिक स्थिति पर भी काफी असर पड़ता है।
फाइलेरिया से बचाव-
फाइलेरिया चूंकि मच्छर के काटने से फैलता है, इसलिए मच्छरों से बचाव ही इसका एकमात्र उपाय है। इसके लिए जरूरी है कि घर व इसके आसपास सफाई रखें। सोने के समय हाथ-पैर पर व अन्य खुले भागों पर सरसों या नीम का तेल लगा लें। कही चोट या घाव हो तो फिर उसे साफ रखें।
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क्यूलैक्स मच्छर के काटने से होता है रोग-
फाइलेरिया मच्छरों द्वारा फैलता है, खासकर परजीवी क्यूलैक्स फैंटीगंस मादा मच्छर के काटने से फाइलेरिया होता है। इसका अबतक कारगर इलाज नहीं है। रोकथाम ही समाधान है।
फाइलेरिया को लेकर दवाएं दी जाती हैं। विशेष अभियान भी चलाया जाता है। लोगों को घर-घर जाकर दवाएं दी जाती हैं। सामान्य लोगों को भी इसकी दवा लेनी चाहिए। - डॉ. शंभू शरण सिंह, जिला मलेरिया अधिकारी
शाम ढ़लने के बाद होती है जांच-
फाइलेरिया की जांच शाम ढ़लने के बाद ही होती है। इसके लिए गार्डेनर रोड, एलएनजेपी, पीएमसीएच, एनएमसीएच, जयप्रभा, गुरु गोविंद सिंह सदर अस्पताल के साथ अन्य कई स्थानों पर केंद्र बनाया गया है। डॉक्टरों का कहना है कि सूर्य ढ़लने के बाद ही फाइलेरिया की जांच होती है। मरीजों को डॉक्टर से परामर्श लेकर दवा लेने की सलाह दी जाती है।
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आंकड़ों में बढ़ती बीमारी पर एक नजर-
- 11907 फाइलेरिया के मरीज पटना के शहरी क्षेत्र में दवा ले रहे हैं।
- 3963 मरीजों को हाइड्रोसील की फाइलेरिया है।
- 384 महिलाओं में स्तन में फाइलेरिया है।
- 51 लोगें को भी फाइलेरिया की समस्या रहती है।
- 4498 मरीजों को पैर में फाइलेरिया का अटैक है।
- 3064 मरीजों को हाथ में फाइलेरिया का अटैक है।
(साभार- हिन्दुस्तान)
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